अंतरराष्ट्रीय कछुआ तस्कर से जुड़े मामले की ट्रायल 6 माह में पूरी करें

भोपाल। सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश के बहुचर्चित अंतरराष्ट्रीय कछुआ तस्कर से जुड़े मामले की ट्रायल छह माह में पूरी करने के निर्देश दिए हैं। जस्टिस एएम खानविलकर एवं जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की खंडपीठ ने यह भी कहा कि ट्रायल पूरी होने तक संबंधित जज को नहीं बदला जाए। शीर्ष कोर्ट ने ये आदेश तस्करी के एक आरोपी तापस बासक की उस अपील पर किए, जिसमें उसने हाईकोर्ट द्वारा जमानत खारिज करने को चुनौती दी थी। 



सुप्रीम कोर्ट ने आवेदक को जमानत देने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश की प्रति मप्र हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और रजिस्ट्रार जुडीशियल को भेजने के निर्देश भी दिए। प्रकरण के अनुसार रीजनल टाइगर स्ट्राइक फोर्स सागर ने विलुप्त प्रजाति के रेड क्राउन रूफ टर्टल्स की अंतरराष्ट्रीय तस्करी में लिप्त 15 लोगों को गिरफ्तार किया था। तापस इनमें से एक आरोपी है। अभियोजन के अनुसार तस्करों की गैंग चंबल नदी में पाए जाने वाले विलुप्त प्रजाति के कछुओं को मलेशिया, थाइलैंड, चीन, बंगलादेश सहित कई देशों में महंगे दामों पर बेचते थे।



इस मामले में हाईकोर्ट ने सरगना मन्नीवनम देवर एवं अजय की भी जमानत अर्जियां खारिज की थीं। मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान बताया गया कि अभियोजन जानबूझकर ट्रायल को बढ़ा रहा है। जिन सीजेएम की कोर्ट में यह मामला लंबित है, उसमें कई जजों को बदला जा चुका है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को कहा है कि अब यह मामला जिस सीजेएम को सौंपा जाए और उन्हें ट्रायल पूरी होने तक हटाया नहीं जाए।